
पेण्ड्रा।गौरेला।मरवाही (CG MP TIMES/06 अगस्त 2024) :
भारत देश की आजादी के 25 वर्ष पूरे होने पर भारत सरकार के आदेश पर 15 अगस्त 1972 को शिलालेख लगवाया गया था, जिसमें भारत देश के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह बने हुए हैं और संविधान की प्रस्तावना लिखी हुई है। इस शिलालेख में क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों और सेनानियों के नाम लिखे जाने थे। लेकिन जनपद पंचायत गौरेला और शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल मरवाही (वर्तमान में सेजेस अंग्रेजी माध्यम स्कूल मरवाही) प्रबंधन के अधिकारियों ने घोर लापरवाही बरतते हुए शिलालेख में नाम लिखने के स्थान को रिक्त छोड़कर रखा था और इस राष्ट्रीय धरोहर को बदरंग करके रखा था।
इस सम्बन्ध में पेण्ड्रा के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विश्वनाथ कलार (जायसवाल) के परिवार के सदस्य एवं दैनिक भास्कर समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार गणेश जायसवाल ने जीपीएम जिला कलेक्टर लीना कमलेश मंडावी का ध्यान आकर्षित कराया था। जिसके बाद कलेक्टर लीना कमलेश मंडावी संज्ञान लेते हुए इस मामले में परीक्षण कर तत्काल कार्यवाही करने का आदेश दिया था। जिसके बाद अधिकारियों ने क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची का परीक्षण किया 52 साल पहले लगे शिलालेख में जीपीएम जिले के 5 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों नाम लिखवाया।
बता दें कि देश की आजादी के 25 साल पूरे होने पर तत्कालीन भारत सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सम्मान में राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह वाले शिलालेख लगवाए थे, लेकिन ज.पं. गौरेला और हायर सेकेण्डरी स्कूल मरवाही के अधिकारियों की अनदेखी की वजह से शिलालेख में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम नहीं थे, बल्कि इन कार्यालयों के अधिकारियों ने लापरवाही बरतते हुए राष्ट्रीय धरोहर को बदरंग करके रखा गया था। जबकि मल्टी परपज हायर सेकेण्डरी स्कूल पेण्ड्रा में भी शिलालेख लगवाया गया था, जिसमें क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम ससम्मान रंग रोगन कराकर लिखे हुए हैं।
नेहरू के साथ नैनी जेल में रहे स्वतंत्रता सेनानी विश्वनाथ जायसवाल, “ताम्र पत्र” से सम्मानित किए गए थे सेनानी
उल्लेखनीय है कि अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजाद कराने के लिए पेण्ड्रा के विश्वनाथ कलार (जायसवाल) स्वतंत्रता आंदोलन में कई बार जेल गए। स्वतंत्रता आंदोलन में विश्वनाथ जायसवाल एक बार पण्डित जवाहर लाल नेहरू के साथ नैनी जेल में अलग अलग बैरक में बंद रहे। विश्वनाथ जायसवाल सहित जिले के पांचों स्वतंत्रता सेनानियों को अमूल्य योगदान के लिए भारत सरकार ने “ताम्र पत्र” से सम्मानित किया था।
शिलालेख में संविधान की प्रस्तावना लिखा है
शिलालेख में भारतीय संविधान की प्रस्तावना भी लिखी गई है कि, हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई. को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
जिले के स्वतंत्रता सेनानियों का नाम लिखने की मांग कलेक्टर से की गई थी – गणेश जायसवाल
पेण्ड्रा के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विश्वनाथ कलार (जायसवाल) के परिवार के सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार गणेश जायसवाल ने बताया कि भारत सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में भारत देश की आजादी के 25 वर्ष पूर्ण होने पर शिलालेख लगवाया था। यह राष्ट्रीय धरोहर है। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के नाम की जगह को रिक्त छोड़ दिया गया था। उन्होंने बताया कि इस संबन्ध में कलेक्टर को अवगत कराकर जिले के स्वतंत्रता सेनानियों का नाम लिखने की मांग की गई थी, जिसे कलेक्टर ने तत्काल संज्ञान में लेकर स्वतंत्रता सेनानियों का नाम लिखवाया। गणेश जायसवाल ने त्वरित कार्यवाही करने के लिए कलेक्टर को धन्यवाद ज्ञापित किया है।