रायपुर। (छग एमपी।टाइम्स/16 फरवरी 2024) :
शिक्षक को सीईओ का प्रभार दिए जाने के बाद मचाए गए हाय-तौबा से प्रदेश के 2 लाख से अधिक शिक्षक नाराज हैं। शिक्षक संगठनों का कहना है कि सीईओ का प्रभार किसे दिया जा सकता है और किसे नहीं ? इस संबंध में शासन को एक स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करना चाहिए। शिक्षक संगठनों का कहना है कि जब पशु चिकित्सक, एडीओ सहित किसी को भी सीईओ का प्रभार दे दिया जाता है तो फिर शिक्षक शब्द का उल्लेख करके हाय-तौबा क्यों मचाया जा रहा ? शिक्षक संगठनों ने कहा शासन ने अलग-अलग विभागों के गैर शिक्षकीय कार्य कराकर शिक्षकों को सभी काम में पारंगत कर दिया है इसलिए शिक्षक सीईओ का कार्य भी बखूबी कर सकते हैं।
शिक्षक संगठनों ने बताया कि सामान्य बोलचाल की भाषा में प्राचार्य, व्याख्याता, शिक्षक और सहायक शिक्षक सभी को शिक्षक या गुरुजी ही कहा जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि यह चारों पद एक समान रैंक के हैं। शिक्षक संगठनों ने बताया कि प्रदेश में काफी बड़ी संख्या में क्लास वन ऑफिसर के रैंक के प्राचार्य स्कूलों में कार्यरत हैं। इसी तरह से व्याख्याता का पद क्लास 2 रैंक का होता है। उसके बावजूद भी यदि सीईओ का प्रभार किसी शिक्षक समुदाय को मिलता है और उसके बाद सिर्फ इसलिए हाय-तौबा मचाया जाए कि शिक्षक को सीईओ क्यों बनाया गया, तो यह शिक्षकों के साथ भेदभावपूर्ण नीति को दर्शाता है।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, पशु चिकित्सक, विकास विस्तार अधिकारी इत्यादि के अलावा अन्य विभागों के अधिकारियों को सीईओ का प्रभार मिलता आया है, जिसका सीधा अर्थ हुआ कि सीईओ के प्रभार के संबंध में शासन का कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है, इसलिए शासन को इस संबंध में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करना चाहिए।
बता दें कि सारंगगढ़ बिलाईगढ़ जिले के कलेक्टर ने शिक्षक को बिलाईगढ़ जनपद पंचायत का सीईओ का प्रभार सौंपा था। उसके बाद सीईओ का प्रभार शिक्षक को दिए जाने को लेकर हाय-तौबा मचाया गया, जिसे लेकर शिक्षक संगठन नाराज हैं। शिक्षक संगठनों का कहना है कि जिस शिक्षक को सीईओ का प्रभार दिया गया था, उस शिक्षक के प्रतिनियुक्ति को लेकर तकनीकी दिक्कत होने पर हाय-तौबा मचाकर सीईओ के प्रभार का विरोध किया जाता तो कोई बात नहीं थी, शिक्षक को सीईओ का प्रभार सौंपे जाने को लेकर बार-बार शिक्षक शब्द का उल्लेख करके हाय-तौबा मचाया जाना आपत्तिजनक है।