बाबा कल्याण दास की प्रेरणा से संत शिवमुनि ने पैदल नर्मदा परिक्रमा की पूर्ण…,नर्मदा उद्गम में पूजन बाद गीता स्वाध्याय में कन्या पूजन के बाद कराया वृहद भंडारा…


अमरकंटक।अनूपपुर।पेण्ड्रा (छग एमपी टाइम्स/06 जुलाई 2024) :
मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में मां नर्मदा जी (रेवा मां) का प्रदुर्भाव (उत्पत्ति) हुआ है। मां नर्मदा जी की सम्पूर्ण परिक्रमा की जाती है जिनकी तीन साल दिन माह और तेरह दिवस का पैदल नर्मदा परिक्रमा का वर्णनन है। जिस जगह से परिक्रमा प्रारंभ की जाती है, उसी स्थान पर पूर्ण (समाप्त) परिक्रमा होती है और वहीं पर पूजन, कन्या पूजन पश्चात भोग प्रसाद का वितरण किया जाता है।

मां नर्मदा जी मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी (बोली) जाती है। परिक्रमा पूर्ण होने के पश्चात परिक्रमावासी ओंकारेश्वर जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर श्रद्धा पूर्वक जलाभिषेक और पूजन करते है तथा हलुआ पुड़ी आदि का प्रसाद बना कर भोग लगाते हैं तथा श्रद्धानुसार भंडारा कर प्रसाद वितरित करते हैं, तभी मां नर्मदा जी की परिक्रमा पूर्ण मानी जाती है। मान्यता भी यही है की तभी मां नर्मदा जी की कृपा और परिक्रमा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

अमरकंटक पधारे उत्तर प्रदेश कानपुर के उदासीन संप्रदाय के संत स्वामी शिव मुनि महाराज गुरु श्री श्री १००८ सूरज मुनि महाराज २०१९ में अमरकंटक आए और तपस्वी बाबा कल्याण दास के सानिध्य से उनको नर्मदा परिक्रमा की प्रेरणा मिली। तभी उन्होंने प्रण किया की मुझे मां नर्मदा जी की पैदल मार्ग नर्मदा तट किनारे किनारे परिक्रमा करना है। चाहे जितने भी समय लग जाए। मन में ठानकर और गुरु आशीर्वाद लिए उन्होंने ०८ नवंबर २०१९ को मां नर्मदा जी की परिक्रमा उत्तर तट अमरकंटक से प्रारंभ की थी। उन्होंने लगभग पांच वर्ष नर्मदा परिक्रमा में व्यतीत होने के बाद पूर्ण परिक्रमा ०६-०७-२०२४ दिन शनिवार को अमरकंटक में मां नर्मदा जी की पूजन, अर्चन पश्चात अमरकंटक के गीता स्वाध्याय मंदिर में स्वामी नर्मदानन्द महाराज के सानिध्य में कन्याओ का चरण धोकर पूजन किया। उसके बाद रोली, अक्षत और माथे में तिलक, पुष्प अर्पण बाद कन्याओ को भोजन करवाया गया। उसके पश्चात संतजन, ब्राम्हणों को भंडारा आयोजन कर सभी को प्रसाद ग्रहण करवाया गया। साथ ही सभी को भेंट प्रदान कर संत स्वामी शिवमुनि महाराज ने सभी को ह्रदय से नमन किया।

संत शिवमुनि ने बताया की जगत जननी मां नर्मदा जी की परिक्रमा पूर्ण करने का इस दास को सौभाग्य प्राप्त हुआ है। लगभग पांच वर्ष परिक्रमा के पूर्ण होने पर मां नर्मदा जी का पूजन और कन्या पूजन किया। इसके बाद रविवार को आगे निकलकर ओंकारेश्वर में ०९ तारीख को ज्योतिर्लिंग में जलाभिषेक कर कन्या पूजन बाद वृहद भंडारा का आयोजन मां की कृपा से होना है।