छत्तीसगढ़ : प्राचार्य पदोन्नति के डीपीसी की संभावित तिथि 6 एवं 7 मार्च…! छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष ने प्राचार्य पदोन्नति फोरम के प्रतिनिधि मंडल को मार्च में डीपीसी कराने का दिलाया था भरोसा…

छत्तीसगढ़ : प्राचार्य पदोन्नति के डीपीसी की संभावित तिथि 6 एवं 7 मार्च…! छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष ने प्राचार्य पदोन्नति फोरम के प्रतिनिधि मंडल को मार्च में डीपीसी कराने का दिलाया था भरोसा…

रायपुर (CG MP TIMES/01 मार्च 2025) :
प्राचार्य पदोन्नति की डीपीसी 6 एवं 7 मार्च को होने की संभावना जताई जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग के प्राचार्य पदोन्नति की डीपीसी 6 एवं 7 मार्च को संभावित तिथि से लोक सेवा आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को अवगत कराया है। उल्लेखनीय है कि 27 फरवरी को प्राचार्य पदोन्नति फोरम ने डीपीसी के लिए लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष से अनुरोध किया था तथा लोक सेवा अध्यक्ष ने फोरम से वादा किया था कि मार्च में डीपीसी कंप्लीट हो जाएगी।

छत्तीसगढ़ राज्य में 10 वर्षों से लंबित प्राचार्य पदोन्नति आगामी मार्च माह में पूर्ण कर ली जाएगी।

इस संबंध में प्राचार्य पदोन्नति फोरम का प्रतिनिधि मंडल 27 फरवरी को छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष रीता शांडिल्य से मिलकर प्राचार्य पदोन्नति के डीपीसी की तारीख अतिशीघ्र निर्धारित करने का अनुरोध किया। जिसपर लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष ने फोरम से वादा किया कि, प्राचार्य की डीपीसी की प्रक्रिया मार्च माह में पूर्ण हो जाएगी।

प्रतिनिधि मंडल में प्राचार्य पदोन्नति फोरम के घटक संगठन अनिल शुक्ला प्रांताध्यक्ष छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस, राकेश शर्मा प्रांताध्यक्ष छत्तीसगढ़ व्याख्याता संघ, श्याम कुमार वर्मा प्रांतीय संयोजक छत्तीसगढ़ वरिष्ठ व्याख्याता संघ, आरके झा प्रांतीय संयोजक छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक मंच माध्यमिक विद्यालय शामिल थे।

बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य में हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में विगत 10 वर्षों से प्राचार्य पद पर पदोन्नति नहीं होने से राज्य के 80% स्कूलों में प्राचार्य नहीं हैं, जिससे स्कूलों की शैक्षणिक और प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा जाने से शिक्षा की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता जा रहा है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा के रैंक में देश में बहुत पिछड़ा हुआ है। क्योंकि प्राचार्य पद रिक्त होने से स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तो किसी न किसी विषय के व्याख्याता को प्रभारी प्राचार्य बना देने से उस विषय की पढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और दूसरी ओर प्राचार्य का प्रभार पाने वाले व्याख्याता के पद को रिक्त नहीं माना जाता है इसलिए उस पद पर भर्ती भी नहीं होती है।